तुझसे दूर रहकर भी
नज़दीक हूँ मैं तेरे
साँसें हैं थमी हुई
ज़िंदा हूँ मैं फिर भी
तू ही मेरी है रज़ा
देखूं तुझे तो सुकून मिले
होंठों से न बयान हो सके
ये दुआ है या सज़ा
अब तक था मैं अधूरा
पास आकर बैठ ज़रा
जी भर कर करूँ दीदार तेरा
तुझसे ही हुआ मैं पूरा
तेरी ही थी कमी
तलाश में था मैं कब से
तुझसे दूर होकर है जाना
तू है लाज़मी!!
Check out the poem ये कैसी कश्मकश है....
Goo one :) Add a chorus portion and you can make a song out of it !
ReplyDelete:) thanks Anmol :)
Deletewow sounds like a bollywood song. Bful lines Saurabh !
ReplyDeleteThanks a lot Afshan :)
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